डीजीटल मिडीयामध्ये पत्रकारितेतील 40 वर्षाच्या अनुभवी "चंद्रपूर एक्सप्रेस" चे स्वागत !




आजच्या आधुनिक युगात पत्रकारितेला नविन स्वरूप आले आहे, "डीजीटल मिडीया (न्युज पोर्टल)" च्या रूपाने वाचकांनी ते स्वीकारले ही आहे. चाळीस वर्षांचा प्रदीर्घ अनुभव असलेले "चंद्रपूर एक्सप्रेस न्यूज पोर्टल" चे आज जिल्ह्यात 40 व्या वर्धापन दिनानिमित्त चंद्रपूर एक्सप्रेस चे संपादक सुनील तिवारी यांनी त्यांचे लोकार्पण आपल्या मातोश्री श्रीमती कौशल्या तिवारी यांचे हस्ते केले. मागील काही वर्षापूर्वी चंद्रपूर एक्सप्रेस चा आमच्याशी संपर्क आला होता. सुनील तिवारी व त्यांचे कुटुंबीय यांचाशी आमचा आलेला संपर्क यातूनच हे दोन शब्द.... !

सुनील तिवारी यांचे वडील श्रीनिवासजी तिवारी यांनी जिल्ह्यामध्ये "चंद्रपूर एक्सप्रेस" प्रकाशित केल्यानंतर त्याची वेगळी प्रतिमा जिल्ह्यांमध्ये स्थापण करण्यात त्यांना यश आले होते, चंद्रपूर एक्सप्रेस म्हणजे त्या काळातील वृत्तपत्राचा दबदबा होता. त्या काळातील गाजलेले प्रकरण हे फक्त चंद्रपूर एक्सप्रेस ने आजच्या सारखी कोणतीही आधुनिक सुविधा नसतांना सचित्र छायाचित्रासह प्रकाशित करण्यात आघाडी घेतली होती, असे त्या काळातील पत्रकार आजही सांगतात. स्वत:चा कॅमेरा वापरणारे तसेच निर्भिड व निष्पक्षपणे बातम्या प्रकाशित करणारे श्रीनिवासजी तिवारी हे एक वेगळेच आंदोलन होते असे सांगणारे त्या घडीचे साक्षीदार आज ही जिल्ह्यात ह्यात आहेत. अनेक प्रकरणांना वाचा फोडण्यात चंद्रपूर एक्सप्रेस आघाडीवर राहिले. आमच्या योगायोगाने चंद्रपुर एक्सप्रेस चे संपादक सुनील तिवारी यांच्याशी व चंद्रपूर एक्सप्रेस परिवाराशी आलेला संबंध आजही तसाचं दृढ आहे, याला कारण ही नम्र व मृदू स्वभावाचे सुनिल तिवारी हेचं असू शकतात. त्यांच्या न्युज पोर्टल ला साप्ता. विदर्भ आठवडी परिवाराच्या मन:पूर्वक शुभेच्छा !
-राजु बिट्टूरवार,
संपादक, विदर्भ आठवडी, चंद्रपूर



'४०' वें वर्धापन दिन के अवसर पर" वेबसाइट व न्यूज़ पोर्टल का लोकार्पण'!

१५ अगस्त २०२० को स्वाधीनता दिन की '७३'वीं वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर अपने सफल प्रकाशन के '३९' वर्ष पूर्ण कर '४०' वें वर्ष में पदार्पण करनेवाले साप्ताहिक चंद्रपुर एक्सप्रेस की वेबसाइट www.chandrapurexpress.in व न्यूज़ पोर्टल का लोकार्पण अखबार के संस्थापक संपादक स्व.श्री श्रीनिवासजी तिवारी की धर्मपत्नी व प्रधान संपादक सुनील तिवारी की माता जी श्रीमती कौशल्या तिवारी के करकमलों द्वारा किया गया.

चंद्रपुर: 39 वर्ष पूर्व आज के ही दिन 15 अगस्त 1981 को हिंदी पत्रकारिता के क्षितिज पर साप्ताहिक अखबार ‘चंद्रपुर एक्सप्रेस’ का उदय हुआ और उसने निष्पक्ष,निर्भिक एवं स्वतंत्र पत्रकारिता का अपना वादा निभाते हुये पूरी जिम्मेदारी,मजबूती और जबाबदेही के साथ 40 वें वर्ष में पहला कदम रखा है। 39 वर्ष का यह लम्बा सफर कम चुनौतियों से भरा नहीं था। लेकिन पाठकों, विज्ञापनदाताओं और हितैषियों के प्यार और सहयोग के संबल के भरोसे उसने अपना यह सफर तय किया है। उसे इस बात पर गर्व है कि विभिन्न कठिनाईयों से भरा यह लम्बा सफर तय करते समय उसने समूची पत्रकारिता के आदर्शों पर आंच आये ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया। न कोई व्याभिचारी समझौता किया और न ही पत्रकारिता की गरिमा को कम करनेवाला कोई अवांछीत कदम उठाया। आसान नहीं था। सहज भी नहीं था। फिर भी ‘सा.चंद्रपुर एक्सप्रेस’ ने आदरणीय बाबूजी स्व.श्री. श्रीनिवासजी तिवारी व्दारा दिखाया गया सत्य, विश्वसनीय और रचनात्मक पत्रकारिता का रास्ता नहीं छोड़ा और वों उसपर आगे बढ़ता रहा। आज अपनी 39 वीं वर्षगाँठ पर उसी रास्ते पर आगे बढ़ते रहने का अपने सुधी पाठकों से वादा करता है।

पत्र पंडित और नैतिक पत्रकारिता के आदर्श संवाहक तथा सा.‘चंद्रपुर एक्सप्रेस’ के संस्थापक संपादक स्व. श्रीनिवासजी तिवारी ने अपने जीवनकाल में पत्र के लिए जो उद्देष्य,लक्ष्य और मानदंड निश्चित किये थे उन्हीं के प्रति अपनी निष्ठा,प्रतिबध्दता और जबाबदेही प्रदर्शित करते हुये उसने उनके निधन के बाद भी पूरी ईमानदारी के साथ अपनी यात्रा जारी रखी और चंद्रपुर-विदर्भ क्षेत्र की पत्रकारिता में अनेक सम्मानित उपलब्धियां हासिल की। आदर्श,रचनात्मक एवं सकारात्मक पत्रकारिता के प्रति जीवंत प्रतिबध्दता की मशाल को जुझारू तेवरों के साथ रोषन रखा। उसकी आजाद कलम ने सामाजिक न्याय के लिए असहिष्णुता,जातिवाद, अंध धार्मिकता और भेदभाव के खिलाफ सतत संघर्ष किया है और उसे आगे भी जारी रखने का उसका वादा है। पत्रकारिता गौरव आदरणीय बाबूजी श्री. श्रीनिवासजी तिवारी ने अपने जीवनकाल में (याने 15 अगस्त 1981 से 15 जनवरी 2000 के बीच) सा.चंद्रपुर एक्सप्रेस की पत्रकारिता को अन्याय, अत्याचार व अनाचार के खिलाफ संघर्ष का ऐसा स्वरूप प्रदान किया कि उसने समूची पत्रकारिता को अलोकित करके रख दिया था। पत्र ने वही संघर्ष आज भी जारी रखा है और आगे भी जारी रखने का उसका वादा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आदरणीय बाबूजी जैसी ऊंचाई वाली दबंग पत्रकारिता वर्तमान दौर में संभव नहीं है,मगर सा.चंद्रपुर एक्सप्रेस का प्रयास हमेशा ही उस ऊंचाई तक पहुंचने का रहा है। माना कि उनसे बराबरी संभव नहीं है। लेकिन उस ऊंचाई को छूने का प्रयास तो कर सकते है ना! बाबूजी के स्वर्गवास के बाद के 20 साल इसी जद्दोजहद में बिते है। सा.‘चंद्रपुर एक्सप्रेस’ को एक नया और निखरा रूप देने का प्रयास निरंतर जारी है ताकि वो नये जमाने की पसंद बन सके। नये विचारों एवं अत्याधुनिक टेक्नोलाजी के साथ आगे बढ़ सके। नयी चुनौतियों का सामना कर सके। समाज में लाख बुराईयां सही मगर कुछ अच्छाईयां भी तो है। उनको खोजकर उन्हें बढावा देने का काम सा.‘चंद्रपुर एक्सप्रेस’ सामाजिक दायित्व के निर्वाह की भावना से करते आया है, आगे भी करते रहनेवाला है। वो किसी भी राजनीतिक विचारधारा से बंधा हुआ नहीं है। वो भी ‘सबका साथ,सबका विकास,’ में विश्वास रखता है। इसीलिए केंद्र व राज्य सरकार के कार्यक्रमों, योजनाओं और नीतियों के प्रचार प्रसार में पूरा योगदान दे रहा है। आगे भी देता रहनेवाला है। सा.चंद्रपुर एक्सप्रेस राष्ट्रीय विचारधारा में अटूट विश्वास करता है। उसके साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। स्व.बाबूजी भले ही राजनीति वाले आदमी थे, मगर उन्होंने कभी भी राजनीति को अपनी स्वतंत्र पत्रकारिता के आड़े नहीं आने दिया। सामाजिक जनजागरण ही उनकी पत्रकारिता का लक्ष्य रहा! पत्र आज भी उसी पथ पर चल रहा है और चलते रहनेवाला है। उसे इस बात का पूरा विश्वास है कि जब तक पाठकों,विज्ञापनदाताओं एवं शुभचिंतकों का प्रेम और आशीर्वाद उसके साथ है तब तक वो अपने किसी भी संकल्प में असफल होनेवाला नहीं है। उनका प्रेम,मार्गदर्शन और सहयोग ही उसकी असली पूंजी,सही ताकत और हिम्मत है। उसीके बुते पर वो अपनी सटीक,जुझारू व विश्वसनिय पत्रकारिता से पत्रकारिता के क्षेत्र को आलोकित करता रहेगा।

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